◆ चेरनोबिल परमाणु संयंत्र त्रासदी :-
यूक्रेन में अवस्थित चेरनोबिल परमाणु संयंत्र 26 अप्रैल 1986 को तब त्रासदी घटित हुई जब उसके चार रिएक्टर कार्यरत थे। तत्कालीन USSR ने अपने भविष्य को देखते हुए प्रिप्यात (Pripyat) शहर बसाने का निश्चय किया साथ ही शहर की विद्युत् आपूर्ति के लिए चेरनोबिल नामक जगह पर परमाणु संयंत्र स्थापित किया गया।
चेरनोबिल परमाणु संयंत्र का औपचारिक नाम V.I. Lenin Atomic Power Plant था . प्रिप्यात शहर USSR का नौवां परमाणु शहर था। इस संयंत्र पर कार्य की शुरुआत 1970 से हो गयी थी ,और पहली यूनिट 1977 में बनकर तैयार हुआ
. पहली यूनिट - 1977
. दूसरी यूनिट - 1978
. तीसरी यूनिट - 1981
. चौथी यूनिट - 1983
◆ कारण एवं तथ्य ;
चेरनोबिल परमाणु संयंत्र का औपचारिक नाम V.I. Lenin Atomic Power Plant था . प्रिप्यात शहर USSR का नौवां परमाणु शहर था। इस संयंत्र पर कार्य की शुरुआत 1970 से हो गयी थी ,और पहली यूनिट 1977 में बनकर तैयार हुआ
. पहली यूनिट - 1977
. दूसरी यूनिट - 1978
. तीसरी यूनिट - 1981
. चौथी यूनिट - 1983
◆ कारण एवं तथ्य ;
इन संयंत्रों के ऑपरेटर इन चार रिएक्टर में से एक में विद्युत् नियंत्रण प्रणाली का परिक्षण कर रहे थे।। वस्तुतः सुरक्षा प्रणाली बंद कर दी गयी थी और रिएक्टर में गैरजरूरी तथा अस्थाई स्थितियों से कार्य का संचालन हो रहा था,अनियंत्रित तरीके से विद्युत् का प्रवाह बढ़ गया जिससे अनियंत्रित विद्युत् प्रवाह होने के कारण ऊष्मा में वृद्धि हुई जो ईधन के गर्म कणो की अभिक्रिया जल से हुई तथा इस कारण वाष्पयुक्त विस्फोट हुआ। इससे अन्य प्रेशर ट्यूबों को भी नुक़सान पंहुचा परिणामस्वरूप और अधिक विस्फोट हुआ। रिएक्टर में इंजीनियरिंग की आधारभूत कमियों तथा ऑपरेटर की गलती के कारण यह दुर्घटना हुआ।
इस त्रासदी के कारण बड़ी मात्रा में पर्यावरण में रेडियोसक्रिय पदार्थ उत्सर्जित होने लगे। ऑपरेटरो ने बिना पर्याप्त सुरक्षा सावधानी और बिना आपसी समन्वय के बहुत ही कम विद्युत् ऊर्जा के साथ संयंत्र का संचालन किया। कुछ स्रोत बताते हैं की यह परमाणु विस्फोट, संयंत्र के परिक्षण का नेतृत्व 26 वर्षीय वैज्ञानिक कर रहा था ,जिसके परिणाम स्वरूप दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु हादसा एक परिक्षण के दौरान हुआ,हालाँकि इस हादसे की जानकारी USSR ने दबाने की कोशिश की लेकिन हवा के बहाव से जब स्वीडन को पता चला और रिपोर्टिंग शुरू हुई तब USSR के वरिष्ठ अधिकारी ने इस पर कार्यवाही तेज की और बचाओ कार्य को गति बढ़ाई गयी।
◆ विकिरण प्रभाव ;
त्रासदी के बाद लगभग 10 दिनों तक संयंत्र जलता रहा और रेडियोसक्रिय संक्रमण प्रसारित होता रहा।
संयंत्र में हुए विस्फोट से 31 लोग तुरंत ही मारे गए. मगर सोवियत वैज्ञानिकों का मानना है कि संयंत्र में मौजूद 190 टन यूरेनियम डायऑक्साईड का चार प्रतिशत हिस्सा हवा में फैल गया। संक्रमित दूध पीने से कई बच्चे रेडियो सक्रिय आयोडीन से ग्रस्त हो गए और उन्हें थायराइड कैंसर जैसी बीमारियां हो गयी। फसल एवं मांस के उत्पाद संक्रमित हुए। जलीय जीव एवं मछली घटना स्थल से कुछ दूर ( 30 KM ) तक पाए जाने वाले जीव जंतु एवं पादप भी इस संक्रमण से प्रभावित हुए थे।
यह दुर्घटना अभी तक घटित उन 2 दुर्घटनाओ में से एक है जिसे अंतर्राष्ट्रीय परमाणु त्रासदी पैमाने पर सबसे ज्यादा अंक 7 मिले है (दूसरी दुर्घटना सन 2011 में जापान के फुकुशिमा में हुई है)|जिस परमाणु रिएक्टर में विस्फोट हुआ था उसे 1983 में बनाया गया था |
त्रासदी के बाद लगभग 10 दिनों तक संयंत्र जलता रहा और रेडियोसक्रिय संक्रमण प्रसारित होता रहा।
संयंत्र में हुए विस्फोट से 31 लोग तुरंत ही मारे गए. मगर सोवियत वैज्ञानिकों का मानना है कि संयंत्र में मौजूद 190 टन यूरेनियम डायऑक्साईड का चार प्रतिशत हिस्सा हवा में फैल गया। संक्रमित दूध पीने से कई बच्चे रेडियो सक्रिय आयोडीन से ग्रस्त हो गए और उन्हें थायराइड कैंसर जैसी बीमारियां हो गयी। फसल एवं मांस के उत्पाद संक्रमित हुए। जलीय जीव एवं मछली घटना स्थल से कुछ दूर ( 30 KM ) तक पाए जाने वाले जीव जंतु एवं पादप भी इस संक्रमण से प्रभावित हुए थे।
यह दुर्घटना अभी तक घटित उन 2 दुर्घटनाओ में से एक है जिसे अंतर्राष्ट्रीय परमाणु त्रासदी पैमाने पर सबसे ज्यादा अंक 7 मिले है (दूसरी दुर्घटना सन 2011 में जापान के फुकुशिमा में हुई है)|जिस परमाणु रिएक्टर में विस्फोट हुआ था उसे 1983 में बनाया गया था |
चेर्नोबिल परमाणु दुर्घटना जान और माल के लिहाज़ से परमाणु सयंत्र इतिहास में घटित सबसे बड़ी घटना माना जाता है |
Nyc content ..Keep writing on more incidents
ReplyDeleteYeah sure..!!
Deletenyc
ReplyDeleteThank you ...Keep reading
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