Tuesday, March 17, 2020

केंद्र-राज्य संबंध


केंद्र राज्य संबंध :-


केंद्र राज्य सम्बन्ध से अभिप्राय है किसी लोकतान्त्रिक देश में संघवादी केंद्र और उसकी इकाइयों के बीच के आपसी सम्बन्ध से है। भारतीय संविधान में भारत 'राज्यों का संघ 'कहा गया है न की संघवादी राज्य। भारतीय संविधान द्वारा विधायी ,प्रशासनिक और वित्तीय शक्तियों का स्पष्ट बंटवारा केंद्र  राज्यों के बीच किया गया है। 

a . विधायी सम्बन्ध -( अनुच्छेद 245 - 255 )

b .प्रशासनिक सम्बन्ध -( अनुच्छेद 256 -263 )

c. वित्तीय सम्बन्ध -(अनुच्छेद 268 -293 )


 विधायी सम्बन्ध :-


संविधान के भाग 11 में अनुच्छेद 245 से 255 तक केंद्र और राज्यों के विधायी संबंधों की चर्चा की गयी है,केंद्र राज्य संबंधो के मामले में चार स्थितियाँ है :-

<> केंद्र एवं राज्य विधान के सीमांत क्षेत्र

<> विधायी विषयों का बंटवारा।

<> राज्य क्षेत्र में संसदीय विधान

<> राज्य विधान पर केंद्र का नियंत्रण।

अनुच्छेद 245  :- संसद भारत के सम्पूर्ण क्षेत्र या उसके किसी भाग के लिए कानून बना सकती है और राज्य के विधानमंडलों द्वारा बनायीं गयी विधियों का विस्तार करने का अधिकार है। ये कानून भारतीय नागरिकों एवं विश्व में स्थित उनकी किसी भी संपत्ति पर भी लागू होता है।

अनुच्छेद 246 : इसके अंतर्गत विधायी सम्बन्धो में त्रि-स्तरीय  व्यवस्था की गई है।

संघ सूची :- विषय 100 ( पहले मूलतः 97 थे ) कानून बनाने की संसद की विशिष्ट शक्ति होती है

राज्य सूची  :- विषय 61 ( पहले 66 थे ) कानून बनाने का अधिकार सामान्य परिस्थितियों में राज्य विधानमण्डल का होता है।

समवर्ती सूची :-विषय 52 ( मूलतः 47 ) इस पर संसद और राज्य दोनों विधान बना सकती हैं।

अनुच्छेद 247 :- कुछ अतिरिक्त न्यायालयों की स्थापना का उपबंध करने की संसद की शक्ति

अनुच्छेद 248 :- अवशिष्ट विधायी शक्तियां। संसद को ऐसे विषय पर कानून बनाने का अधिकार जो तीनों सूची में नहीं आते।

अनुच्छेद 249 :- यदि राज्य सभा यह घोषित करे की राष्ट्रहित में राज्यसूचि के मामले में मामले में संसद को कानून बनाना चाहिए तो संसद कानून बना सकती है , उपस्थित सदस्यों के 2 / 3 समर्थन मिलना चाहिए और यह कानून 1 वर्ष तक प्रभावी रहेगा  और इसे असंख्य बार बढ़ाया जा सकता है।

अनुच्छेद 250 :- संसद राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान राज्य सूची के मामलों की शक्तियां अभिग्रहित कर लेती है तथा आपातकाल के बाद यह व्यवस्था 6 माह तक प्रभावी रहती है।

अनुच्छेद 251 :-राज्यों को अनुच्छेद 249 और 250 के अंतर्गत बनी विधियों के विषयों पर कानून बनाने का अधिकार तो है परन्तु केंद्रीय कानून से संघर्ष की स्थिति में केंद्रीय कानून प्रभावी होगा।

अनुच्छेद 252 :- दो या दो से अधिक राज्य विधानमंडल यह प्रस्ताव पारित करें की राज्य सूची पर संसद कानून बनाये तो संसद उस मामले में कानून बना सकती है। यह कानून उन्हीं राज्यों पर प्रभावी होगा जिन्होंने यह प्रस्ताव भेजा है। कोई अन्य राज्य चाहे तो यह प्रस्ताव को पारित कर इसे लागू कर सकता है।

अनुच्छेद 253 :- संसद,राज्य सूची के विषय पर अंतर्राष्ट्रीय संधि और समझौतों पर कानून बना सकती है।

अनुच्छेद 254 :- राज्य विधान मंडल एवं संसद द्वारा बनाये गए कानून में विसंगति आती है तो संसद द्वारा बनाया गया कानून प्रभावी होगा।

अनुच्छेद 255 :- सिफारिशों और पूर्व मंजूरी के बारे में अपेक्षाओं को केवल प्रक्रिया के विषय मानना।

प्रशासनिक संबंध :- 

 संविधान के भाग 11 में अनुच्छेद 256 से 263 तक केंद्र व राज्य के बीच प्रशासनिक संबंधो की व्याख्या की गयी है। -

अनुच्छेद 256 :- 
राज्य को अपनी कार्यपालिका शक्ति का इस प्रकार प्रयोग करना होगा की संसदीय कानून का पालन हो सके। केंद्र ,राज्य को निम्न मामलों में निर्देश जारी कर सकता है --( आर्टिकल 257 के अनुशार )

. संचार साधनों को बनाये रखना एवं रखरखाव
. राज्य में रेलवे संपत्ति की रक्षा।
. प्राथमिक शिक्षा की स्तर पर राज्य भाषायी अल्पसंख्यक के बच्चों हेतु मातृभाषा सीखने की व्यवस्था करें।
. राज्य अनुसूचित जनजातियों के कल्याण हेतु विशेष योजना बनाकर क्रियान्वयन करें।

अनुच्छेद 257 :- राज्य अपनी कार्यपालिका शक्ति का इस प्रकार पालन करें की केंद्रीय कार्यपालिका शक्ति में बाधा उत्पन्न ना हो।

अनुच्छेद 258 :- राष्ट्रपति द्वारा,राज्य की सहमति पर केंद्र के किसी कार्यकारी कार्य को उस राज्य को सौंप सकता है। इसी तरह राज्यपाल केंद्र की सहमति से राज्य के कार्य को कराता है।--

<> अखिल भारतीय सेवाओं की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती है।  इन पर पूर्ण नियंत्रण केंद्र का एवं तात्कालिक नियंत्रण राज्य का होता है।

<> राज्य लोक सेवा आयोग ,संयुक्त राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल करता है किन्तु उन्हें सिर्फ राष्ट्रपति द्वारा ही हटाया जा सकता है।

<> राज्य के राज्यपाल एवं उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति भी राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।

<> आपातकाल के दौरान संपूर्ण देश का प्रशासन केंद्र के पास होता है।

अनुच्छेद 355 :- केंद्र ,बाह्य आक्रमण एवं आंतरिक अशांति से प्रत्येक राज्य की रक्षा और यह सुनिश्चित करना की प्रत्येक राज्य की सरकार संविधान के अनुरूप कार्य कर रही है या नहीं।


अनुच्छेद 259: - पहली अनुसूची के भाग-बी में राज्यों में सशस्त्र बल  ( निरस्त 7 वां संशोधन )

अनुच्छेद 260: - भारत के बाहर के राज्य क्षेत्रों के  सम्बन्ध में संघ की अधिकारिता

अनुच्छेद 261:- सार्वजनिक कार्य ,अभिलेख और न्यायिक कार्यवाहियां

अनुच्छेद 262:- अंतर्राज्यीय नदियाँ या नदी दूनो के जल सम्बन्धी विवादों का न्यायनिर्णयन

अनुच्छेद 263:- अन्तर्राज्यीय परिषद के सम्बन्ध में उपबंध।







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