◆प्रमुख जनजातीय विद्रोह
● खोंड विद्रोह (1837-56 ,1914 )
. नेतृत्व - चक्र बिसोई
. प्रभाव क्षेत्र :- उड़ीसा ,बंगाल और दक्षिण मध्य भारत
. मुख्य कारण :- सरकार द्वारा नए करों को लगाना, उनके क्षेत्र में जमीदारों और साहूकारों को प्रवेश। खोंडों में जनजातीय रीति रिवाज़ों में हस्तक्षेप किये जाने के कारण विद्रोह
<> 1837 से 1856 एवं पुनः 1914 में विद्रोह हुआ ,लेकिन 1857 में दंडसेना को फांसी देने के बाद यह आंदोलन समाप्त हो गया।
●कोल विद्रोह ( 1831-32 )
. नेतृत्व :- बुद्धो भगत
. प्रभाव क्षेत्र :- छोटा नागपुर का भू-भाग ( झारखंड )
. मुख्य कारण :- अंग्रेज़ों द्वारा उस क्षेत्र में प्रसार ,जमीदारों और ठेकेदारों द्वारा भूमि कर बढ़ाना ,छोटा नागपुर के राजा द्वारा स्थानीय आदिवासियों के बजाय दिकुओं ( बाहरी लोगों ) को भूमि देना।
<> बुद्धो भगत की मृत्यु और सैन्य अभियान से ही यह आंदोलन शांत किया जा सका ,एवं शांति पुनः स्थापित की जा सकी।
●संथाल विद्रोह (1855-56 )
नेतृत्व :- सिद्धो और कान्हू
प्रभाव क्षेत्र :- बिहार ( संथाल परगना )
प्रमुख कारण :- संथालों (कृषि करने वाली जनजाति ) के निरंतर दमन ने जमीदारों जिन्हें पुलिस का समर्थन प्राप्त था ,के विरूद्ध संथालों के विद्रोह को जनम दिया।
<> विद्रोहियों ने भागलपुर तथा राजमहल के बीच स्वायत्त क्षेत्र घोषित किया,फलस्वरूप 1856 में ब्राउन और जनरल लॉयड ने विद्रोह का दमन कर दिया। 1856 में ही पृथक संथाल परगना की स्थापना हुई।
●मुंडा विद्रोह ( 1899 - 1900 )
नेतृत्व :- बिरसा मुंडा
प्रभाव क्षेत्र :- छोटा नागपुर
प्रमुख कारण :- खूंटकट्टी ( सामूहिक भूमि-स्वामित्त ) आधारित जनजातियों की कृषि व्यवस्था पर जमीदारों का कब्ज़ा,व्यापारियों साहूकारों द्वारा आर्थिक चोट ,ईसाई मिशनरियों द्वारा सामजिक पद्धत्ति पर चोट होने का परिणाम था।
<> इसे "उलगुलान विद्रोह" के रूप में जाना जाता है,
<> फरवरी 1900 में बिरसा मुंडा को सिंहभूमि में गिरफ्तार कर रांची जेल में डाल दिया , विद्रोह का दमन कर दिया गया।
●खासी विद्रोह ( 1827-33 )
प्रभाव क्षेत्र :- जयंतिया और गारो पहाड़ियों के बीच का क्षेत्र
प्रमुख कारण :- ईस्ट इंडिया कंपनी के द्वारा पहाड़ी क्षेत्र में बाहरी लोगों के हस्तक्षेप से खासी, गारो ,खंपतिस्,एवं सिंगफोस जातियों का विद्रोह परिणाम था।
<> 1833 में इसे सैन्य कार्यवाही द्वारा इसे दबा दिया गया।
●रामोसी विद्रोह ( 1822,1825-26 ,1839-41 )
. नेतृत्व :- चित्तर सिंह और नरसिंह दत्तात्रेय पेतकर
. प्रभाव क्षेत्र :- पश्चिम घाट ( महाराष्ट्र )
. प्रमुख कारण :- अंग्रेज़ों का साम्रज्यवादी आर्थिक शोषण,अकाल और भूख की समस्या।
●रम्पा विद्रोह ( 1922-24 )
. नेतृत्व :- अल्लुरी सीताराम राजू
. प्रभाव क्षेत्र :- गोदावरी नदी नदी के पहाड़ी क्षेत्र के उत्तर में अर्द्ध -आदिवासी रम्पा क्षेत्र
. प्रमुख कारण :- व्यापारी, साहूकार का शोषण,झूम कृषि पर रोक,वन विभाग कानून जो आदिवासियों की चराई सम्बन्धी अधिकार को समाप्त करना था।
<> विद्रोह में गोर्रिल्ला युद्ध नीति का अनुशरण किया गया।
<> सितम्बर 1924 में सीताराम राजू के मरते ही आंदोलन समाप्त हो गया।
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