Wednesday, March 4, 2020

उत्तराखंड बाढ़ 2013


◆उत्तराखंड बाढ़ :-


भारत के उत्तराखंड राज्य में 2013 में आई विनाशकारी बाढ़ ने विनिर्माण क्षेत्र के निर्माण कार्य को नए सिरे से सोचने के लिए मजबूर कर दिया था। उत्तराखंड राज्य का ऊपरी हिमालयी क्षेत्र वनों और हिम से आच्छादित है। इसी क्षेत्र में केदारनाथ और बद्रीनाथ जैसे महत्त्वपूर्ण हिन्दू तीर्थ स्थल भी हैं यहाँ वर्ष 2013 में 14 -17 जून तक इतनी घनघोर वर्षा हुई की इसने विनाशकारी बाढ़ का का रूप धारण कर लिया। इस भयानक आपदा में 5000 से ज्यादा लोग ने अपनी ज़िंदगी गवां दी तथा हज़ारों लोग बेघर हो गए। इसका प्रभाव हिमाचल प्रदेश  और पश्चिम नेपाल तक हुआ।

◆उत्पत्ति :-



<>  14 -17 जून 2013 को उत्तराखंड राज्य में हुई अचानक मूसलाधार बारिश 340 मिलीमीटर दर्ज की गयी जो सामान्य बेंचमार्क ( 65.9मिमी ) से 375 प्रतिशत ज्यादा होने से बाढ़ की स्थिति उत्त्पन्न हुई।

<>उत्तरकाशी में बादल फटने के बाद अस्सीगंगा और भागीरथ में जल स्तर बढ़ गया।

<> गर्मियों के दौरान बर्फ पिघलने से जून के महीने में सामान्यतः यहाँ का मौसम नम रहता है। जिससे बाढ़ का विकराल रूप बनने में सहायक की तरह काम किया।

<> चोराबरी हिमानी पिघलने से मंदाकनी नदी में बाढ़ की स्थिति

◆प्रभावित क्षेत्र :-  



<>  नेपाल की महाकाली और धौलीगंगा वाले क्षेत्र में व्यापक नुकसान हुआ ,इक रिपोर्ट के अनुशार 1500 से ज्यादा लोग बेघर ,125 घर और 15 सरकारी कार्यालय बह गए।

<> दिल्ली और NCR क्षेत्र में और यमुना नदी के निचले क्षेत्रों में जल प्रवाह 207.75 मीटर से ऊपर पहुँच गया जो एक नया रिकॉर्ड बना।

<> हिमाचल प्रदेश और उत्तरप्रदेश  में बाढ़ से जीवन और संपत्ति का काफी नुकसान हुआ।


हालाँकि भारतीय मौसम विज्ञान ने भारी वर्षा का पूर्वानुमान जताया था लेकिन मौसम विभाग की चेतावनी को आम जनता के बीच प्रसारित नहीं किया गया किया गया। भारी वर्षा के कारण बाढ़ और भू-स्खलन दोनों का सामना करना पड़ा। ऐसे में कई स्थानों पर यात्रीगण और स्थानीय निवासी फंस गए। केदारनाथ मंदिर का  भी निचला भाग क्षतिग्रस्त हो गया।

चोराबारी हिमानी पिघलने  नदी में बाढ़ की स्थिति बनने से गोविंदघाट और केदारनाथ मंदिर के आस पास का क्षेत्र जलप्लावित होने लगा जिससे कई होटल कई होटल बाढ़ से क्षतिग्रस्त हुए।

उल्लेखनीय  है की उत्तराखंड में आयी बाढ़ को हम सामान्यतौर पर प्राकृतिक आपदा की संज्ञा दे दें लेकिन इससे भी नहीं बचा जा सकता की इस  आपदा के लिए बहुत सीमा तक मानवीय क्रियाकलाप भी दोषी हैं।

●जैसे :-

><  पर्यटन में अनियंत्रित वृद्धि 

><बिना जांच-परीक्षण के सड़कों ,होटलों दुकानों में वृद्धी  

><अनियोजित भवन निर्माण आदि के कारण भू-स्खलन जैसी स्थिति उत्पन्न हुई। 

>< जलविद्युत्त परियोजनाओं में वृद्धि के कारण भी जल संतुलन बाधित हुआ। 



इस त्रासदी से निपटने के लिए भारतीय थल सेना ,वायु सेना ,नौ सेना,ITBP ,SSB ,लोक निर्माण विभाग ,NDRF ,स्थानीय प्रशासन सभी ने एकजुट होकर कार्य किया इससे स्थिति पर नियंत्रण पाने का प्रयास किया गया । इसके अतिरिक्त देशवाशियों ने भी बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए खोले गए विभिन्न शिविरों में खाद्य सामग्री एवं नकद राशि का योगदान दिया।



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