कच्छ भूकंप
भारत के गुजरात राज्य में स्थित भुज जिले में समुद्र तटीय क्षेत्र में देश के 51 वें गणतंत्र दिवस की सुबह 8:46 , बजे हुआ और 2 मिनट से अधिक समय तक भूकंप के तेज़ झटके महसूस हुए। भारतीय मौसम विभाग अनुसार रिक्टर पैमाने पर इस भूकंप की तीव्रता 6.9 थी।
●प्रभाव क्षेत्र :-
इस भूकंप का अधिकेंद्र कच्छ के मुख्यालय भुज से लगभग 20 किमी उत्तर -पूर्व में था। इसका प्रभाव भारत के व्यापक क्षेत्र में तथा पड़ोसी देशों पाकिस्तान ,नेपाल में भी महसूस किये गये। इस प्राकृतिक आपदा के कारण जहाँ एक ओर हजारों लोगों की मृत्यु हो गयी तथा निकटतम शहरों जैसे अहमदाबाद ,राजकोट ,जामनगर ,पाटन में कई भवन क्षतिग्रस्त हो गए ,वहीं कच्छ क्षेत्र के भवनों आदि का तो पूरी तरह विध्वंश हो गया। इस त्रासदी का प्रभाव गुजरात की अर्थव्यवयस्था ,जनांकिकी और श्रम बाजार पर भी पड़ा।
विदित है की कच्छ का प्रभावित क्षेत्र पूर्व में भी भूकम्पीय गतिविधियों से युक्त रहा। यह क्षेत्र भारत के भूकंपीय क्षेत्रों के पांचवे जोन पड़ता है ,यही एकमात्र ऐसा जोन है जो हिमालयी भूकंपीय बेल्ट से बाहर स्थित है। प्रसंगवश इस क्षेत्र में 2001 की ही तरह 1819 ,1844 ,1845 ,1869,1956 में भी भूकंप आये थे।
●आकलन :-
एशियाई विकास बैंक और विश्व बैंक के कच्छ भूकंप आकलन मिशन ने फरवरी 2001 में गुजरात का दौरा किया और पाया की लगभग 99 बिलियन रूपए का नुकसान हुआ था ,इस त्रासदी में 13805 से 20,023 के लगभग लोगों की जानें गयी। 167,000 घायल और 3 लाख भवन क्षतिग्रस्त होने का आकलन लगाया गया।
●अन्य :-
★स्मृतिवान ,एक मेमोरियल पार्क बनाया गया है जिसमे इस भूकंप आपदा में जिन्होंने अपनी जान खोयी उनकी याद में 13,823 पेड़ लगाए गए।
★इस भूकंप के कारण आयी त्रासदी ने आभास दिलाया की गुजरात में भवनों की संरचना में कई तकनीकी खामियां थी। यदि इन्हे भूकंपरोधी बनाया जाता तो संभवतः जान माल की कम हानि होती। बहरहाल भूकंप पीड़ितों की सहायता करने के लिए भारतीय सेना के साथ साथ अंतर्राष्ट्रीय रेडक्रॉस सोसाइटी ने भी महत्त्वपूर्ण योगदान दिया
★इस आपदा ने भारत सरकार की आपदा पूर्व तैयारी की पोल खोल दी ,मीडिया और आम लोगों द्वारा सरकार पर दबाव बना जिसके प्रभाव में 2005 में NDMA ( National Disaster Management Act ) के रूप में देखा।
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