पुनर्जागरण :-
इसका शाब्दिक अर्थ है - पुनः जागना
रेनेसॉ ( पुनर्जागरण ) यह एक फ़्रांसिसी शब्द है ,इसका पहला प्रयोग इटली के विद्वान 'बेसारी ' ने " रेनसीटा " के रूप में किया था। (रेनसीटा - स्थापत्य कला व मूर्तिकला में विकास ) 18 वीं शताब्दी में फ़्रांसिसी विद्वान' दिदरो ' ने रेनसीटा का व्यापक अर्थ बताया और इसके क्षेत्रों में -कला ,साहित्य ,विज्ञान,भौगोलिक खोजें शामिल थी।
सीमोंड के अनुसार "यह एक आंदोलन था ,जिसके द्वारा पश्चिम के राष्ट्र मध्ययुग ( 10 वीं शताब्दी से 13 वीं शताब्दी तक ) के अंधकारमय वातावरण से निकलकर आधुनिक विचार व पद्धत्तियों को ग्रहण किया। "
पुनर्जागरण के महत्व :-
◆ मानववाद का विकास
◆तर्क व मानव की जिज्ञासु प्रवृत्ति में विकास
◆ प्रादेशिक भाषाओ व लौकिक साहित्य का विकास
◆ प्रादेशिक भाषाओ व लौकिक साहित्य का विकास
◆मानवोपयोगी वैज्ञानिक अन्वेषण का विकास
◆ नवीन भौगोलिक खोजें
◆प्राचीन सांस्कृतिक विरासत के प्रति जाग्रति
◆कला के लौकिक स्वरूप का विकास तथा शिक्षा व भौतिक मूल्यों के प्रति आकर्षण
पुनर्जागरण की शुरुआत इटली से ही क्यों हुई :-
●भौगोलिक अनुकूलता :-
पूर्वी व पश्चिम देशों के लगभग केंद्र में स्थित था,तथा पूर्वी देशों से आने वाले नवीन विचारों को सर्वप्रथम इटली ने ग्रहण किया। धर्मयुद्ध या सम्मलेन ( जेरुसलम ) से लौटते समय अधिकांश बुद्धिजीवी इटली में ही रुकते थे। 1453 में तुर्की ने कुस्तुन्तुनिया पर अधिकार कर लिया ,जिससे अभिजात वर्ग ने भागकर इटली में शरण ली।
●रोमन सभ्यता की जन्मस्थली :-
प्राचीन रोमन साम्राज्य का साहित्य गिरिजाघरों में दबा पड़ा था। इतालवी भाषा व इटली के लोग इस सभ्यता से निकटता महसूस करते थे ,जिससे उन्हें अपने महान इतिहास से खुद को गौरान्वित महसूस किया।प्राचीन भवन स्मारक खंडहर के रूप में मिले जो रोमन सभ्यता के प्रतीक थे,इस बात ने लोगो को झकझोर कर रख दिया।
●आर्थिक समृद्धि :-
भूमध्य सागर ने निकटता के कारण कई प्रमुख व्यापारिक नगर ( जैसे-नेपल्स,मिलान,वेनिस ) की स्थापना से नवोदित मध्यम व्यपारिक वर्ग ने सामंतो, पोप की परवाह करना बंद किया तथा कलाकारों व साहित्यकारों को आश्रय दिया। फ्लोरन्स नगर से दांते , एंजेलो ,लियोनार्डो द विंची ,गिबर्ती ,मैकियावेली आदि साहित्यकार निकले जिन्होंने समाज में नयी चेतना विकास किया।
●ईसाई धर्म का प्रमुख केंद्र :-
इटली स्थित रोम शहर ईसाई धर्म मानने वालों के लिए आज भी बहुत महत्व रखता है। यहाँ ईसाई धर्म को धार्मिक क्रियाकलापों एवं रीति रिवाज़ों से सबसे अधिक लोगों को बंधा गया इसलिए सर्वाधिक प्रतिक्रिया हुई। कुछ पोप ( निकोलस पंचम ) ने ग्रीक - रोमन पांडुलिपियों को एकत्रित किया एवं वेटिकन पुस्तकालय की स्थापना करवाई।
●सांस्कृतिक विशिष्टता :-
तत्कालीन लेखक,कलाकारों आदि ने यूनान की सांस्कृतिक के साथ प्राचीन रोमन संस्कृति से भी प्रेरणा ली थी। अतः पुनर्जागरण के अंकुरण के लिए इटली की भूमि ही सबसे उर्वर थी।
●लौकिक शिक्षा पर बल :-
मध्य युग की शिक्षा धर्म से सम्बंधित थी लेकिन पुनर्जागरण काल में इटली में धार्मिक शिक्षा के साथ साथ व्यापर के लिए व्यावसायिक ज्ञान एवं भौगोलिक ज्ञान पर बल दिया गया।
●स्वतंत्र नगर राज्य :-
इटली के कई नगर स्वतंत्र विचारधारा के समर्थक थे। जिससे सम्राट व पोप का नियंत्रण अपेक्षाकृत शिथिल पड़ गया।
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