Wednesday, February 19, 2020

औद्योगिक क्रांति


औद्योगिक क्रांति :-


18वीं  सदी के मध्य में तथा 19 वीं सदी में पश्चिम देशों के तकनीकी ,आर्थिक एवं सामाजिक प्रक्रिया में आमूलचूल परिवर्तन को ही औद्योगिक क्रांति  कहा जाता है। 

औद्योगिक क्रांति शब्द का सबसे पहले आरनोल्ड टायनबी ने अपनी पुस्तक "लेक्चर्स ऑन दि इंडस्ट्रियल रेवोलुशन रिवोल्युशन " में 1844 में किया था।
इसकी शुरुआत वस्त्र उद्योग के मशीनीकरण के साथ इंग्लैंड से हुई।

 इसके क्रमिक विकास को दो चरणों में विभाजित कर सकते हैं ----

<>प्रथम चरण (1760 -1830 ) :- इस समय में विभिन्न अविष्कार व कारखाना पद्धत्ति का विकास हुआ।

<>द्वितीय चरण ( 1830 - 1914 ):- औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि ,विविधता जटिलता और यातायात व व्यापारिक क्षेत्रों में क्रांतिकारी परिवर्तन।

◆◆औद्योगिक क्रांति की शुरुआत इंग्लैंड से ही क्यों हुई ?----             


<>विस्तृत औपनिवेशिक साम्राज्य :- 


इंग्लैंड का विस्तृत औपनिवेशिक साम्राज्य रहा जिससे कच्चे माल की सुविधा तथा नवीन बाजार निर्यात के लिए उपयोग हुआ। जैसे - भारत से कपास आयात कर निर्मित कपड़े को भारत को ही निर्यात किया जाता रहा।

<>समुद्री व्यापार पर एकाधिकार :-


इंग्लैंड की रॉयल नेवी तत्कालीन समय की सबसे मज़बूत नौ सेना थी। जिससे समुद्र में एकाधिकार बना रहा।

<>मांग के अनुरूप उत्पादन :- 

इंग्लैंड में वस्तुओं के उत्पादन मांग के अनुरूप थी। बहुत कम समय में सामान को उपलब्ध करा देता था। जबकि अन्य यूरोपीय देश काफी वक्त लगा देते थे।

<>पूँजी उपलब्धता:-

 वाणिज्यवाद के दौरान अत्यधिक धन संग्रहण किया एक ओर इंग्लैंड के व्यापारियों ने भारत जैसे उपनिवेशों से उच्च लाभ अर्जन किया वहीँ दूसरी ओर इंग्लैंड के समजवादी विद्वानों ने सदा जीवन ,कम खर्च उच्च बचत पर बल व निवेश को प्रोत्साहित किया।

<>कृषि क्रांति :- 

औद्योगिक क्रांति से पहले कृषि क्रांति हुई जिसके फलस्वरूप सीमांत व लघु कृषक बेकार ,बेरोजगार होकर शहरों की तरफ पलायन करके आ गए जिससे उद्योग की मजदूर समस्या खत्म हुई ,और व्यापर में गति प्रदान किया।

<>अनुकूल भौगोलिक स्थिति :-

इंग्लैंड शेष संसार से पृथक भौगोलिक स्थिति रही जिससे युद्ध व अशांति -हानियों से बचा रहा ,या बाहरी प्रभाव को व्यापर में नहीं पड़ने दिया।

<>शांति व्यवस्था :-

 तत्कालीन प्रधानमंत्री वॉलपॉल की कुशल नीति से राजनीतिक व वित्तीय स्थायित्व बढ़ा ,जबकि यूरोप के अन्य देश गृहयुद्धों में उलझ गए।

<>लोहा-कोयला की पर्याप्त उपलब्धता  :-

किसी भी कारखाने के आधारभूत ढांचे और ऊर्जा के लिए लोहा व कोयला की जरूरत पड़ती है ,यह इंग्लैंड में बहुतायत में पाया जाता रहा।


इंग्लैंड का मुक्त समाज ,वैज्ञानिक अविष्कारों को प्रोत्साहन देना तथा अर्ध कुशल कारीगरों की उपलब्धता आदि कारक इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति के शुरू होने का कारण बना।

औद्योगिक क्रांति के प्रभाव :

इतिहासकार विल ड्यूरा  ने कहा   
" मानव समाज के इतिहास में दो प्रसिद्द क्रांतियाँ हुई ,पहली आखेट छोड़कर कृषि व पशुपालन करना वहीँ दूसरी कृषि छोड़कर व्यवसाय को अपनाना "

आर्थिक प्रभाव :-

औद्योगिक क्रांति के पहले चरण में 1815 तक आते आते इंग्लैंड को विश्व की वर्कशॉप ,विश्व की भट्ठी ,विश्व का बैंक कहा जाने लगा।

<> कुटीर उद्योग ,कारखाना पद्धत्ति में परिवर्तित  होने लगा तथा उत्पादन में बेहद वृद्धि हुई।

<> सन 1700 में जहाँ ग्रामीण जनसँख्या 77 % थी  वहीं 1900 में केवल 20 % बची और अर्थव्यवस्था का आधार शहर हो गया।

<> राष्ट्रीय उत्पादन व संरक्षणवाद को महत्व दिया गया ,जिससे अन्य देशों की वस्तुओं पर भारी कर लगाया गया।

<> औद्योगिक क्रांति ने विश्व को कई भयानक मंदियाँ दी -1825,1837 ,1867 ,1900 ,1929 आदि।

<>औद्योगिक पूंजीवाद का जन्म दिया ,कारखाना माल सस्ता होने से घरेलु उद्योग धंधे चौपट हो गए।

<> इंग्लैंड की औद्योगिक प्रगति के कारण ही नेपोलियन ( फ्रांस ) वाटरलू का युद्ध जीत न सका। कहा जाता है की वाटरलू का युद्ध तो इंग्लैंड ने पहले ही लंकाशायर के सूती मिलों में जीत लिया था।

◆◆सामाजिक प्रभाव :-

<> श्रमिकों की स्थिति पहले से अधिक दयनीय हो गयी ,कार्य समय बढ़ा ,तथा अवकाश नहीं दिया जाता था।

<> 14 -16 घंटे कार्य करने के वावजूद ,श्रमिक संपत्ति विहीन,मुद्राविहीन ,गृहविहीन ही बने रहे।

<> संयुक्त परिवार की प्रथा को आघात लगा।

<> आर्थिक विषमता बढ़ने के साथ ही दो नए वर्ग श्रमिक व पूंजीपति का उद्भव हुआ।

<> जनसँख्या में गुणात्मक वृद्धि हुई।

<> 18वीं  सदी के मध्य से 19वीं सदी के अंत तक जनसँख्या में तीन गुना वृद्धि हुई जिससे नयी बीमारियों की बढ़ोतरी हुई जिसके फलस्वरूप चिकित्सक खोजें होने लगी।

<>कृषि क्रांति आने से लोगों के पोषण में सुधार हुआ।

<> नये औद्योगिक वर्गों के आने से स्वच्छ जल ,वायु ,स्वास्थ जैसे मूलभूत अधिकारों की मांग होने लगी।

<>  महिलाओं के अधिकारों की शुरुआत वुल्सटनक्राफ्ट तथा जॉन स्टुअर्ट ने किया।

<> मजदूरों की दशा सुधरने व जान कल्याण के लिए समाजवाद का जनम हुआ।


◆◆राजनीतिक प्रभाव :-

<> औद्योगिक क्षेत्र के व्यापक होने से राज्यों के प्रशासकीय कार्यों में वृद्धी हुई।

<> श्रमिकों की दशा सुधारने व् बाल श्रमिकों से सम्बंधित कई कानून लाये। अकेले 19वीं सदी में 40 से अधिक फैक्टरी अधिनियम पारित हुए।

<> राज्य की प्रशासकीय क्षेत्र में हस्तक्षेप में वृद्धि हुई।

<> इंग्लैंड ,फ्रांस ,हालैंड ,आदि उपनिवेश स्थापित करने में जोर देने लगे।

<> राष्ट्रवाद ,संरक्षणवाद और प्रतिद्वंदिता में वृद्धि हुई जिससे प्रथम विश्व युद्ध की पृष्ठ्भूमि तैयार किया।


इस क्रांति के फलस्वरूप उदारवादी विचारधारा का प्रादुर्भाव ,व्यक्तिगत स्वतंत्रता ,एवं एडम स्मिथ के लेसेस फेयर का सिद्धांत सामने आया ,राबर्ट ओवन जैसे आदर्शवादी समाजवाद के प्रणेता प्रकाश में आये जो कार्ल मार्क्स के दर्शन का आधार बना। 



















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