भोपाल गैस त्रासदी :-
भारत के मध्य प्रदेश राज्य के भोपाल शहर में 3 दिसंबर 1984 को एक भयानक औद्योगिक दुर्घटना हुई। इसे भोपाल गैस कांड या भोपाल गैस त्रासदी के नाम से जाना जाता है।◆◆कैसे हुआ ?:-
भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड ( UCIL ) की कीटनाशक फैक्टरी से जहरीली गैस मिथाइल आइसो सायनेट(MIC )के रिसाव रिसाव होने के कारण समूचा भोपाल इसका शिकार हो गया।गैस के रिसाव के कारण को लेकर आज भी विवाद बना हुआ है। भारत सरकार का तर्क रहा है की लापरवाह प्रबंधन तथा बेतरतीब रख-रखाव के कारण MIC टंकी में पानी विपरीत प्रवाह होने लगा ,जिससे आपदा हुई। साथ ही UCIL ने यह दावा किया की तोड़-फोड़ किये जाने के कारण टंकी में पानी घुसा और घटना हुई।
स्थानीय पत्रकारों की रिपोर्ट के अनुसार में सुरक्षा के लिए रखे गए सारे मैनुअल अंग्रेजी में थे जबकि कारखाने में काम करने वाले ज्यादातर कर्मचारियों को अंग्रेजी का बिलकुल ज्ञान नहीं था साथ ही पाइप की सफाई करने वाले हवा के वेन्ट में भी काम करना बंद कर दिया था।
◆◆प्रभाव :-
MIC का प्रसार 3 दिसंबर की पहली सुबह तक पूरे भोपाल में फ़ैल गया ,फलस्वरूप वातावरण में मिश्रण से लोगों को सांस लेने में कठिनाई होने लगी। आँखों पर दुष्प्रभाव पड़ा ,फेफड़े ,मस्तिष्क मांसपेशियों और साथ ही तंत्रिका तंत्र ,प्रजनन तंत्र पर इस गैस का दुष्प्रभाव पड़ा।
इस त्रासदी में 10000 से भी अधिक लोगों की मृत्यु ही गयी तथा 5 लाख से भी ज्यादा लोगों का शरीर पीड़ादायक घावों से ग्रस्त हो गया।
दुर्घटना के 4 दिन बाद 7 दिसंबर 1984 को UCIL के अध्यक्ष और CEO वारेन एंडरसन की गिरफ्तारी हुई लेकिन 6 घंटे बाद उन्हें $2100 के मामूली जुर्माने पर मुक्त कर दिया गया।
इस त्रासदी के शिकार केवल वो लोग नहीं हुए जो घटना के दौरान भोपाल में थे बल्कि इस गैस का संक्रमण कई वर्षों तक रहा जिसका प्रभाव संभव आज भी है। घटना को त्रासदी में बदल जाने का मूल कारण यह था की इस जहरीली गैस के बारे में पूरी जानकारी नहीं थी ,और इसके प्रतिविष (Antidote ) के बारे में लोग अनजान थे,सरकार को इस रसायन और निपटने के उपचार जानकारी होती तो प्रभाव को काम किया जा सकता था। लेकिन 2014 तक भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने यही कहा की भोपाल त्रासदी का वास्तविक कारण अभी भी अज्ञात है।
त्रासदी के 35 साल बाद भी सरकार UCIL की पैतृक कंपनी यूनियन कार्बाइड कारपोरेशन ( UCC ) और इसके खरीददार डाउ केमिकल पर त्रासदी की जवाबदेहिता आरोपित करने से कतराती रही है ,वहीं दूसरी ओर गैस त्रासदी से पीड़ित परिवार आज भी वांछित मुआवजे के मांग कर रहे हैं।
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