चर्चा में : हाल  ही में सरकार ने 
. नीति आयोग की बैठक में 2024 तक भारतीय अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर बनाने का लक्ष्य रखा 
. आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 और आम बजट 2019 -20  में सरकार ने अपनी मुख्य नीति के रूप में सामने रखा  और साथ ही रोडमैप तैयार किया
. 5  ट्रिलियन इकॉनमी  का अर्थ 350 लाख करोड़ की जीडीपी से है 
5 ट्रिलियन इकॉनमी एंड इंडिया :
किसी भी देश की जीडीपी से उस  देश की अर्थव्यवस्था  के आकर और स्थिति का अंदाजा लगाया  जा सकता है,
भारत की अर्थव्यवस्था का आकार 2014 में 1.8 ट्रिलियन डॉलर था ,जो 2019 में बढ़कर 2.7 ट्रिलियन डॉलर हो गया। 
अगले 5 साल में 84 %उत्पादन विस्तार में वृद्धि या 13 % चक्रवृद्धि वार्षिक संवृद्धि दर बनाये रखना होगा 
9 % की वास्तविक संवृद्धि दर की गति लक्ष्य के लिए  आवश्यक है 
रोडमैप :
. 5 सालो में बुनियादी सुविधाओं में 100 लाख करोड़ का निवेश करने का लक्ष्य 
. कारोबार सुगमता का माहौल बनाने के लिए केंद्र से लेकर जिला स्तर तक के प्रयास पर ज़ोर देना 
. प्राइवेट इन्वेस्टमेंट ,पब्लिक इन्वेस्टमेंट लोकल डिमांड और एक्सपोर्ट को बढ़ावा देना 
. विदेशी निवेश की सीमा आसान और शर्तें सरल करना 
. मेक इन इंडिया को बढ़वा देने के लिए कच्चे माल पर सीमा शुल्क काम करना और तैयार माल पर आयात सीमा शुल्क बढ़ाना 
. निजी निवेश की रफ़्तार बढ़ाने के साथ लागत कम करने पर ज़ोर देना 
चुनौतियाँ :
. ईज़ ऑफ़ लिविंग  के उच्च मानकों  के साथ तेज़ी से वृद्धि की चुनौती 
. मानसून की रफ़्तार से भारतीय कृषि पर बुरा असर 
. उपभोक्ता मांग और निवेश मांग में संतुलन स्थापित करना 
. अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारो में तेल की कीमतों पर उतार चढाव की स्थिति 
. अंतर्राष्ट्रीय नीतियों और आधुनिक तकनीकों की वजह से भारत के आईटी सेक्टर की नौकरियों पर खतरा  
. unskilled लेबर force होने से भारत उन्हें आउटसोर्स न कर पाने और कार्यशील जनसँख्या को रोजगार न  प्रदान  कर पाने से बेरोजगारी और गरीबी बढ़ेगी जो अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगी 
आगे की राह :
. निवेश के लिए एक अनुकूल वातावरण बनाने की दरकार
. नीति निर्माताओं को सिर्फ निवेश आधारित ग्रोथ रेट पर भरोसा करने के बजाय अर्थव्यवस्था का वास्तविक मूल्याङ्कन करने घरेलु बचत पर निवेश दोनों पर ज़ोर देने की ज़रुरत है 
. जीडीपी में फिलहाल सर्विस सेक्टर मैन्युफैक्चरिंग कृषि निर्वाण और खनन जैसे क्षेत्रो जो अर्थव्यवस्था पर बड़ा हिस्सा रखते हैं इनमे आर्थिक वृद्धी तेज करने क लिए निवेश 
. ईज् ऑफ़ लिविंग को बेहतर बनाना 
. डिज़ाइन फंडिंग और गवर्नेंस पर ध्यान देने की जरूरत 
. महंगाई दर 4 % के आसपास रखना 
एशिया में अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन को देखें तो चीन 2003 -2007 के बीच में 11.7 %की वृद्धि से और दक्षिण कोरिया 1983 -87 के बीच में 11 % की वृद्धि दर्ज की थी। इस हिसाब से भारत को 9 % से वृद्धि करना काल्पनिक या अवास्तविक नहीं हैं। 
Very informative article sir 🙏
ReplyDeletethnakquu
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